तमाम अटकलें को खारिज करते हुए केजरीवाल साहब ने यह स्पष्ट कर दिया है की उन्हें लोकसभा का चुनाव लड़ने के लिए थोड़ा वक़्त चाहिए शायद इसलिए ही उन्होने इस्तीफा देने की इतनी जल्दी की | थोड़ा अपच सी बात लगती है कि जो व्यक्ति भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ रहा था वो अब कुर्सी के लिए लड़ रहा है | शायद केजरीवाल जी को कुर्सी का चस्का लग गया है | अब वो पूरी तरह से समर्पित है अपने लोकसभा कैम्पेन के लिए |
खैर ये बात तो स्पष्ट हो गयी है कि केजरीवाल वाकई दैवी बुद्धि के धनी हैं उन्हें खुद नहीं पता होता कि कल जागकर वो क्या नया वखेड़ा खड़ा करने वाले हैं | तमाम घटनाएँ जो अभी हो रही हैं उन्होने राजनीति को बदला भी है और धूमिल भी किया है | केजरीवाल साहब अभी तक समझ नहीं पाये हैं कि बातें बनाना कितना आसान है और काम करना कितना मुश्किल | आप अगर मुख्यमंत्री हो और जो आप सोचें वो सहज ही हो जाए ये तो कुछ हजम नहीं होता | मौजूदा सरकार का विरोध करके विपक्ष तो अपनी भूमिका अच्छी निभा रहा है पर आप शायद अपना काम ठीक से नहीं कर रहे हैं |
आम आदमी पार्टी लड़ने की बात करती है और एक ही दिन मे हार मान गयी ये बात कुछ हजम नहीं हुई | आप जनता को अपना लोकपाल देके क्या उखाड़ लोगे जबकि आप खुद ही इसके लिए नहीं लड़ सकते | ये तो कोई भी कर सकता है कि लोकपाल बिल पास नहीं हुआ क्योकि कॉंग्रेस और बीजेपी ने पास नहीं होने दिया | आप लड़ो उनसे उन्हें समझाओ यही तो सत्ता मे रहकर शासन करने के सही मायने हैं |
जो आप सोचें वो हो जाए जो आप सोचें वो सही हो ये बातें थोड़ी बचकानी लगती हैं | मुझे लगता है जो हमेशा खुद को सही ठहराने की कोशिश करता है वो बेवकूफ होता है | आप देश के लिए जान देने कि बात करते हैं और एक दिन भी विपक्ष के सामने न टिक सके ऐसे आप स्वराज दिलाएँगे जब आप खुद का बचाव नहीं कर पा रहे हैं | आप खुद के मुद्दे ही सही ढंग से जनता के सामने नहीं रख पा रहे हैं |
लोकपाल बिल विधानसभा मे प्रस्तावित करना और एक दिन मे ही विपक्ष के विरोध पर उसे छोडकर दुबारा चुनाव कराने कि अपील करना, ये शायद इस पूरे घटनाक्रम मे सबसे आसान कदम था और इसका फायदा भी आम आदमी पार्टी को हुआ | सस्ती लोकप्रियता और लोगों के दिल मे जगह बनाने के लिहाज से यह बड़ा ही उपयुक्त कदम हैं परंतु एक शासक के नाते ये बड़ा ही बेहूदा फैसला है | ज़िम्मेदारी से भागना और अपनी नाकामयाबी का ढ़ोल किसी और पर पीटना कोई बहदुरी या देशभक्ति नहीं है ये एक बचकानी हरकत है जो अक्सर नौसिखियों मे देखने को मिलती हैं |
अगर ये सब इसलिए था कि आपको लोकसभा चुनाव के प्रचार के लिए वक़्त चाहिए तो मे आपके इस फैसले कि प्रशंसा करता हूँ पर इसमे देश की सेवा कहीं दिखाई नहीं दी क्योंकि आप को 10 या 15 से ज्यादा सीट तो मिलने से रही जिससे आप लोगों के लिए न तो ढंग से कुछ कर पाएंगे और न ही ढंग से विपक्ष मे ही बैठ पाएंगे | दिल्ली मे आप जीत गए क्योंकि आपने ऐसा अजीब माहौल बनाया जो अकल्पनीय था | कॉंग्रेस के प्रति लोगों का गुस्सा आप के वोटों मे तब्दील हो गया | तो इसमे शायद आप की लोकप्रियता नहीं बल्कि कॉंग्रेस कि नकामयाबी का बड़ा हाथ है जो आपको फायदा दे गया | सरकार भी आप ने कॉंग्रेस के सहयोग से बनाई है इसका मतलब तो यही है कि आप और कॉंग्रेस मिले हुए है और केजरीवाल खामोखाँ बीजेपी पर आरोप लगा रहे हैं |
इस लिहाज से तो आप और भी गए गुजरे हैं जिसने तुम्हें वोट दिलाये, लोकप्रियता दिलाई और मुख्यमंत्री बनने मे मदद कि आप उसी कि बुराई करने मे जुटे हैं | खैर जो चल रहा है चलने दो और देखते रहो आगे क्या होता है |