इन दिनों टेलीविज़न पर जो खबरें आ रही हैं उन्हें देखकर हर कोई ये सवाल जरूर पूछना चाहता है कि क्या केजरीवाल साहब बाकई समझदार है या वो खुद समझने की कोशिश कर रहे हैं| उनके किए तकरीबन हर काम में वो उलझ से गए हैं| उनके सारे काम बचकाने से प्रतीत होते हैं| चाहे वो जनता दरबार हो या लोकपाल बिल | वो हर तरफ मुसीबतों के बोझ से जैसे दबते जा रहे हैं | वो जब भी कोई अच्छा काम करने जाते हैं, साथ में मुसीबतों का पिटारा भी साथ ले जाते हैं | अच्छे खासे महान विचार की धज्जियां उड़ जाती हैं और वो इस का ठीकरा औरों पर फोड़ देते हैं | केजरीवाल जी ये दावा करते हैं कि राजनीति से उनका कोई लेना देना नहीं है परंतु राजनीति का एक दाव वो अच्छी तरह से जानते हैं | अगर कुछ गड़बड़ हो जाती है तो वे इसका दोष विपक्ष पर मढ़ देते हैं | वैसे सच कहूँ तो राजनीति का यह अश्त्र कई वर्षों से कारगर रहा है |
खैर अगर हम केजरीवाल जी के पुराने जीवन को देखें तो ये इनकी सराफ़त और ईमानदारी को बखूबी स्पष्ट करता है | हम सब जानते हैं कि जिस नौकरी को छोडकर वो आए हैं उसमे वो बहुत पैसा कमा सकते थे परंतु उन्होने ऐसा नहीं किया | जब आदमी का जी गले तक भर जाता है तब ही वो ऐसे कदम उठाने पर मजबूर होता है जो सामान्यतया देखने को नहीं मिलते हैं | इस भ्रष्टाचार और अराजकता से तो में भी परेशान हूँ पर मुझ में इतनी हिम्मत नहीं कि में सड़क पर बैठकर आंदोलन कर सकूँ | उन्होने इसके बहुत मेहनत की है | संभवतया दो साल तक हर रात उन्होने ये सोचते हुए बिताई है कि कल क्या नई मुसीबत मुझे देखने को मिलेगी | इसके लिए उन्होने अपना सुख चैन नौकरी दाव पर लगाई है खैर इसका मीठा फल वो अभी खा रहे है कभी कभी उसमे बीज निकाल आते हैं वो अलग बात है |
सिर्फ दो सालों कि जद्दोजहद के बाद वो मुख्यमंत्री बने ये अपने आप मे एक मिसाल है | मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिये बहुत पापड़ बेलने पड़ते हैं |शुक्र है इन्हें किसी के पीछे खड़े होकर पार्टी के नारे नहीं लगाने पड़े नहीं तो उनका गला और बैठ जाता | पॉज़िटिव सोचने पर उनका व्यक्तित्व किसी चलचित्र के पात्र जैसा लगता है | लगता है मानो उस चमचमाती कुर्सी पर बैठने के लिए ही वो पैदा हुए हैं | आदमी का वक़्त बदलते देर नहीं लगती एक मामूली आदमी इतना लंबा सफर इतने कम समय मे तय कर सकता है इस बात को कोई अब अतिशयोक्ति नहीं समझेगा |
मुझे लगता है शायद हम मुद्दे से भटक गए हैं | हाल ही में केजरीवाल इस बात पे आड़े हैं कि वो लोकपाल बिल पास करेंगे और विधानसभा सत्र सरकारी इमारत मे नहीं बल्कि खुले मैदान मे चलाएँगे | तमाम अन्य पार्टियां शायद इसलिए इसका विरोध कर रही हैं क्योंकि उन्हें बाहर धूप मे बैठने कि ज्यादा आदत जो नहीं है | और केजरीवाल जी को तो आप जानते हैं वो तो मुख्यमंत्री बनने के बाद भी आधी रातें सड़क पर ही सोये हैं | उनकी पैरा मिलिट्री बल बुलाने कि बात भी हजम होती है पर उसका जो खर्चा होगा वो कौन देगा इस बात का जिक्र करना शायद वो भूल गए हैं |
बिजली बालों से तो उनका पहले से ही छत्तीस का आंकड़ा है बार बार झटके खाने के बाद भी वो डटके खड़े हैं | आदतें मे थोड़ा सुधार आया है अब वो खुद जाकर लोगों की बिजली ठीक नहीं करते हैं | वैसे बिजली के तार लगाकर समाज सेवा करने का उनका आइडिया नायाब था | बिजली वाले भी कम नहीं हैं इधर इन्होने बिजली के दाम घटाए उधर उन्होने बिजली ही बंद कर दी | शेर और सवाशेर कि लड़ाई मे कोन जीतता हैं ये तो वक़्त ही बताएगा |
मैं बस भगवान से यही दुआ करूंगा कि आपको रात मे चैन की नींद आए ताकि आप सुबह कुछ उल्टा पुलटा न करें |
अगर आप केजरीवाल जी कि “आम आदमी पार्टी” से प्रभावित है तो नीचे दिया गए लिंक पर क्लिक कर अपना रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं |
Click here to go to the official site. Or direct go to Member Ship page.
“जय हिन्द”
No comments:
Post a Comment